चाणक्य नीति- छल-कपट स्त्रियों से सीखना चाहिए
हर इंसान, हर प्राणी का अलग-अलग स्वभाव होता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार यहां दिए गए फोटो में जानिए हमें किन लोगों से क्या सीखना चाहिए-
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
विनयं राजपुत्रेभ्य: पण्डितेभ्य: सुभाषितम्।
अनृतं द्युतकारेभ्य: स्त्रीभ्य: शिक्षेत् कैतवम्।।
इस श्लोक में बताया गया है कि हमें तहजीब सीखना हो तो किसी राजकुमार से सीखना चाहिए। जिस प्रकार कोई राजकुमार अन्य लोगों के प्रति पूरी तहजीब और सलीके के साथ व्यवहार रखता है, ठीक उसी प्रकार हमें भी सभी लोगों के साथ विनम्रता से पेश आना चाहिए।
यदि हमें अच्छी बातें और ज्ञान की बातें सीखना हैं तो किसी पंडित या ब्राह्मण से सीखना चाहिए। जिन लोगों को शास्त्रों का ज्ञान होता है उनसे हम अच्छी बातें सीखना चाहिए।
यदि झूठ बोलना सीखना हो तो किसी जुआरी से सीख सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार जो लोग जुआ खेलते हैं उनसे दूर रहना चाहिए। ऐसे लोग झूठ बोलने में जरा सी भी देर नहीं करते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि किसी को छल-कपट सीखना हो तो स्त्रियों से सीखना चाहिए। जिस निपूर्णता से स्त्रियां छल-कपट कर सकती हैं, वैसा छल-कपट कोई पुरुष नहीं कर सकता।
हर इंसान, हर प्राणी का अलग-अलग स्वभाव होता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार यहां दिए गए फोटो में जानिए हमें किन लोगों से क्या सीखना चाहिए-
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